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ख़ुद सवाल आप ही जवाब हूँ मैं | शाही शायरी
KHud sawal aap hi jawab hun main

ग़ज़ल

ख़ुद सवाल आप ही जवाब हूँ मैं

आबिद मुनावरी

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ख़ुद सवाल आप ही जवाब हूँ मैं
ज़िंदगी की खुली किताब हूँ मैं

यूँ तो इक जुरआ-ए-शराब हूँ मैं
गर्दिश-ए-वक़्त का जवाब हूँ मैं

जुस्तजू-ए-सुकून-ए-दिल थी मुझे
ग़र्क़-ए-दरिया-ए-इज़्तिराब हूँ मैं

मेरी क़ीमत है प्यार के दो-बोल
कितने सस्ते में दस्तियाब हूँ मैं

कभी नग़्मा-तराज़ था मैं भी
आज टूटा हुआ रबाब हूँ मैं

रंज ग़म दर्द बे-कसी हसरत
'मीर' का जैसे इंतिख़ाब हूँ मैं

कौन मुझ पर यक़ीन लाएगा
अपनी नज़रों में ख़ुद सराब हूँ मैं

पहले सैलाब से परेशाँ था
अब कि महव-ए-तलाश-ए-आब हूँ मैं

मुख़्तलिफ़ रंग हैं मिरे 'आबिद'
कभी जल्वा कभी हिजाब हूँ मैं