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ख़ुद को जब से जान गए हम | शाही शायरी
KHud ko jab se jaan gae hum

ग़ज़ल

ख़ुद को जब से जान गए हम

रफ़अत शमीम

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ख़ुद को जब से जान गए हम
दुनिया को पहचान गए हम

दुश्मन को जब पास से देखा
दोस्त को भी पहचान गए हम

मन में कैसी आग लगी ये
तन की चादर तान गए हम

उस के दयार-ए-शौक़ से अक्सर
ख़ुद ही तही-दामान गए हम