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ख़ुद को आसान कर रही हो ना | शाही शायरी
KHud ko aasan kar rahi ho na

ग़ज़ल

ख़ुद को आसान कर रही हो ना

कुमार विश्वास

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ख़ुद को आसान कर रही हो ना
हम पे एहसान कर रही हो ना

ज़िंदगी हसरतों की मय्यत है
फिर भी अरमान कर रही हो ना

नींद सपने सुकून उम्मीदें
कितना नुक़सान कर रही हो ना

हम ने समझा है प्यार पर तुम तो
जान पहचान कर रही हो ना