ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल-ओ-क़रार का मौसम
बहार ढूँड रही है बहार का मौसम
वो मेरे साथ नहीं हैं तो दिल के सहरा पर
समय बिखेर रहा है बहार का मौसम
फ़रेब ख़ुद को ना देगा तो और क्या देगा
ना रास आए जिसे ए'तिबार का मौसम
तुम्हारे क़ुर्ब की मद्धम सी इक हरारत से
है ढेर राख तले इंतिज़ार का मौसम
ग़ज़ल
ख़िज़ाँ में ओढ़ के क़ौल-ओ-क़रार का मौसम
हनीफ़ तरीन