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ख़िज़ाँ ब-रंग-ए-बहाराँ है देखिए क्या हो | शाही शायरी
KHizan ba-rang-e-bahaaran hai dekhiye kya ho

ग़ज़ल

ख़िज़ाँ ब-रंग-ए-बहाराँ है देखिए क्या हो

तालिब चकवाली

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ख़िज़ाँ ब-रंग-ए-बहाराँ है देखिए क्या हो
सुकूँ के भेस में तूफ़ाँ है देखिए क्या हो

इलाही ख़ैर हो हालात ही दिगर-गूँ हैं
कभी जो कुफ़्र था ईमाँ है देखिए क्या हो

रवाँ-दवाँ थे जो लम्हात रुक गए यक-दम
सुकूत-ए-शाम-ए-ग़रीबाँ है देखिए क्या हो

कहाँ गए वो नशेब-ओ-फ़राज़ यास-ओ-उम्मीद
सपाट सा दिल-ए-वीराँ है देखिए क्या हो

जुनून-ए-हुस्न हद-ए-ला-शुऊ'र तक पहुँचा
शुऊ'र सर-ब-गरेबाँ है देखिए क्या हो

अभी तो उस का निशाँ तक मिला नहीं 'तालिब'
तलाश-ए-अज़्मत-ए-इंसाँ है देखिए क्या हो