खेल उस ने दिखा के जादू के
मेरी सोचों के क़ाफ़िले लूटे
या तो धड़कन ही बंद हो जाए
या ये ख़ामोशी-ए-फ़ज़ा टूटे
तुम जहाँ भी हो मेरे दिल में हो
तुम मिरे पास थे तो हर-सू थे
नग़्मा-ए-गुल की बास आती है
तार किस ने हिलाए ख़ुश्बू के
उस को लाएँ तो एक बात भी है
वर्ना सब दोस्त आश्ना झूटे
नख़्ल-ए-उम्मीद सब्ज़ है 'अमजद'
लाख झक्कड़ चला किए लू के
ग़ज़ल
खेल उस ने दिखा के जादू के
अमजद इस्लाम अमजद