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खेल उस ने दिखा के जादू के | शाही शायरी
khel usne dikha ke jadu ke

ग़ज़ल

खेल उस ने दिखा के जादू के

अमजद इस्लाम अमजद

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खेल उस ने दिखा के जादू के
मेरी सोचों के क़ाफ़िले लूटे

या तो धड़कन ही बंद हो जाए
या ये ख़ामोशी-ए-फ़ज़ा टूटे

तुम जहाँ भी हो मेरे दिल में हो
तुम मिरे पास थे तो हर-सू थे

नग़्मा-ए-गुल की बास आती है
तार किस ने हिलाए ख़ुश्बू के

उस को लाएँ तो एक बात भी है
वर्ना सब दोस्त आश्ना झूटे

नख़्ल-ए-उम्मीद सब्ज़ है 'अमजद'
लाख झक्कड़ चला किए लू के