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ख़यालों ख़यालों में किस पार उतरे | शाही शायरी
KHayalon KHayalon mein kis par utre

ग़ज़ल

ख़यालों ख़यालों में किस पार उतरे

हुसैन आबिद

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ख़यालों ख़यालों में किस पार उतरे
न दुश्मन कोई नाँ जहाँ यार उतरे

गिरफ़्तार है सेहर-ए-आईना-गर का
पस-ए-आईना किस तरह यार उतरे

ज़बान-ओ-बयाँ दास्ताँ सब बदल दे
कहानी में ऐसा भी किरदार उतरे

तसव्वुर में तो गुनगुनाती नदी थी
समुंदर में कैसे ये सरकार उतरे

सो गर्दन झुका कर निगाह तान ली है
कि इंकार ओ इक़रार का बार उतरे