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ख़ौफ़ की ऐसी न बीमारी लगे | शाही शायरी
KHauf ki aisi na bimari lage

ग़ज़ल

ख़ौफ़ की ऐसी न बीमारी लगे

नूर तक़ी नूर

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ख़ौफ़ की ऐसी न बीमारी लगे
सच वो बोले तो अदाकारी लगे

साहिबों से हर इजाज़त लो मगर
मुस्कुराना भी न सरकारी लगे

सब मियाँ हालात पर मौक़ूफ़ है
फूल भी तलवार से भारी लगे

ऐ फ़रिश्तो सर न ढलकाना मिरा
मौत भी आए तो सरदारी लगे

भाड़ में जाए ये तहज़ीब-ए-कलाम
बात कहने में भी दुश्वारी लगे

वो ग़ज़ल-आबाद में रहता है नूर
क्यूँ न उस का हर सुख़न कारी लगे