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ख़ौफ़ का तारी सिलसिला क्या है | शाही शायरी
KHauf ka tari silsila kya hai

ग़ज़ल

ख़ौफ़ का तारी सिलसिला क्या है

दिनाक्षी सहर

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ख़ौफ़ का तारी सिलसिला क्या है
हर-सू वहशत है ये हुआ क्या है

रूह ज़ख़्मी हमारी सब की है
मिल के सोचें कि अब दवा क्या है

क़ुल्ज़ुम-ए-ख़ूँ न अज़-अज़ल ठहरी
इस ज़ेहानत का फ़ाएदा क्या है

हर तरफ़ शोर इन सवालों का
कौन है तू तिरा पता क्या है

ग़ैर के घर लगी तो चुप है तू
रुक कि तेरा अभी जला क्या है

क्यूँ भटकती हैं सड़कों पे रूहें
मर के जीने की ये सज़ा क्या है

इक ख़लिश सी हवा में है शायद
साँस मुश्किल सा हो गया क्या है

तू भी इंसान मैं भी इंसाँ ही
अब ये इंसानियत बता क्या है

जीते हो लाश पर किसी की तुम
कल वो जीतेगा तो बुरा क्या है

दर्द तेरा मिरा न हो यकसाँ
दर्द ही है अलाहदा क्या है