ख़ला में तैर रहा है सवाल दुनिया का
ख़ुदा को आएगा किस दिन ख़याल दुनिया का
ये और बात कि जन्नत यक़ीं से आगे थी
वहाँ भी साथ गया एहतिमाल दुनिया का
हमारे नामा-ए-आमाल में लिखा उस ने
उरूज-ए-आदम-ए-ख़ाकी ज़वाल दुनिया का
ये वाक़िआ है कि इंसान मर गया पहले
फिर इस के ब'अद हुआ इंतिक़ाल दुनिया का
कोई ख़बर नहीं किस वक़्त और कहाँ गिर जाए
ख़ुदा के हाथ से जाम-ए-सिफ़ाल दुनिया का
हज़ार मैल को धोया हज़ार साबुन से
किसी तरह भी न छूटा ख़याल दुनिया का
अजीब रंग का पिंजरा है आसमाँ नीचे
तिलिस्म-ए-ग़ैब है 'ख़ुर्शीद' हाल दुनिया का
ग़ज़ल
ख़ला में तैर रहा है सवाल दुनिया का
खुर्शीद अकबर

