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ख़ामुशी से सवाल मेरा था | शाही शायरी
KHamushi se sawal mera tha

ग़ज़ल

ख़ामुशी से सवाल मेरा था

हरबंस तसव्वुर

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ख़ामुशी से सवाल मेरा था
मुझ से पहले ज़वाल मेरा था

वक़्त का ध्यान आया था उस को
मौसमों का ख़याल मेरा था

मा'नी-दर-मा'नी उस की थी पर्वाज़
लफ़्ज़-दर-लफ़्ज़ जाल मेरा था

घर के बाहर थी कार दफ़्तर की
घर के अंदर का हाल मेरा था

ऐ 'तसव्वुर' न याद आया कभी
शे'र जो हस्ब-ए-हाल मेरा था