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ख़ामुशी में क़यास मेरा है | शाही शायरी
KHamushi mein qayas mera hai

ग़ज़ल

ख़ामुशी में क़यास मेरा है

बबल्स होरा सबा

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ख़ामुशी में क़यास मेरा है
बंदिशें ही लिबास मेरा है

ख़्वाब फूलों के आँख ने गूँधे
फिर चमन क्यूँ उदास मेरा है

कोई ताबीर-ए-ख़्वाब मिल जाती
क्या मुक़द्दर ही यास मेरा है

हसरतों आज दूर ही रहना
आज फिर दिल उदास मेरा है

तू गुज़र जा उधर 'सबा' बन कर
ऐ सनम ये सिपास मेरा है