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कौन होते हैं वो महफ़िल से उठाने वाले | शाही शायरी
kaun hote hain wo mahfil se uThane wale

ग़ज़ल

कौन होते हैं वो महफ़िल से उठाने वाले

लाला माधव राम जौहर

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कौन होते हैं वो महफ़िल से उठाने वाले
यूँ तो जाते भी मगर अब नहीं जाने वाले

आह-ए-पुर-सोज़ की तासीर बुरी होती है
ख़ुश रहेंगे न ग़रीबों को सताने वाले

कूचा-ए-यार में हम को तो क़ज़ा लाई है
जान जाएगी मगर हम नहीं जाने वाले

हम को क्या काम किसी और परी से तौबा
आप भी ख़ूब हैं बे-पर की उड़ाने वाले

जिस क़दर चाहिए बिठलाइए पहरे दर पर
बंद रहने के नहीं ख़्वाब में आने वाले

क्या क़यामत है कि रुलवा के हमें ऐ 'जौहर'
क़हक़हे मार के हँसते हैं रुलाने वाले