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कौन है नेक कौन बद है यहाँ | शाही शायरी
kaun hai nek kaun bad hai yahan

ग़ज़ल

कौन है नेक कौन बद है यहाँ

तस्लीम इलाही ज़ुल्फ़ी

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कौन है नेक कौन बद है यहाँ
किस के हाथों में ये सनद है यहाँ

खुलते जाते हैं काएनात के भेद
जो अज़ल है वही अबद है यहाँ

जो नज़र आए वो हक़ीक़त है
जो कहा जाए मुस्तनद है यहाँ

कितनी मुद्दत से देखता हूँ मैं
इक तमाशा-ए-ख़ाल-ओ-ख़द है यहाँ

जो किसी तौर जल नहीं पाए
उन चराग़ों की कोई हद है यहाँ

अपनी पहचान के लिए 'ज़ुल्फ़ी'
क्या शुमार और क्या अदद है यहाँ