करें किस लिए हम किसी का लिहाज़
किसी को नहीं जब हमारा लिहाज़
मुसावात उस चीज़ का नाम है
कि उठ जाए छोटे बड़े का लिहाज़
लिहाज़ इस का कुछ तुम को भी चाहिए
किया हम ने कितना तुम्हारा लिहाज़
किसी की कोई बात सुनता नहीं
किसी को नहीं अब किसी का लिहाज़
खरी बात कहने के आदी हैं हम
न बेजा मुरव्वत न बेजा लिहाज़
जो इंसाँ ज़माने के काम आएगा
उसी का करेगा ज़माना लिहाज़
न रुत्बा न ओहदा न ज़र है न ज़ोर
करे कौन 'सरशार' तेरा लिहाज़
ग़ज़ल
करें किस लिए हम किसी का लिहाज़
जैमिनी सरशार