कर लिया दिन में काम आठ से पाँच
अब चले दौर-ए-जाम आठ से पाँच
चाँद है और आसमान है साफ़
रहिए बाला-ए-बाम आठ से पाँच
अब तो हम बन गए हैं एक मशीन
अब हमारा है नाम आठ से पाँच
शेर क्या शाइ'री के बारे में
सोचना भी हराम आठ से पाँच
कुछ ख़रीदें तो भाव पाँच के आठ
और बेचें तो दाम आठ से पाँच
वो मिले भी तो बस ये पूछेंगे
कुछ मिला काम-वाम आठ से पाँच
सोहबत-ए-अहल-ए-ज़ौक़ है 'बासिर'
अब सुनाओ कलाम आठ से पाँच
ग़ज़ल
कर लिया दिन में काम आठ से पाँच
बासिर सुल्तान काज़मी