कर के आज़ाद हर इक शहपर-ए-बुलबुल कतरा
आज सय्याद ने एक और नया गुल कतरा
जेब-कतरों में है मशहूर सबा-बादी चोर
सुब्ह ग़ुंचे का जो कीसा ब-तअम्मुल कतरा
देख टिक अपने गरेबान में मुँह डाल के शैख़
हिर्स के हाथ से दामान-ए-तवक्कुल कतरा
पंजा-ए-मेहर बना शाना-ए-मश्शाता-ए-सुब्ह
मह-जबीं तू ने जूँ ही रिश्ता-ए-काकुल कतरा
लेंगे मुर्ग़ान-ए-चमन ख़ाक-ए-गुलिस्ताँ का सबक़
बाग़बाँ जब कि ख़िज़ाँ ने वरक़-ए-गुल कतरा
किस क़दर तेज़ है मिक़राज़-ए-सुख़न तेरी 'नसीर'
गोश-ए-होश ओ ख़िरद-ए-तालिब-ए-आमुल कतरा
ग़ज़ल
कर के आज़ाद हर इक शहपर-ए-बुलबुल कतरा
शाह नसीर