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कनहय्या की तरह प्यारे तिरी अँखियाँ ये साँवरियाँ | शाही शायरी
kanhayya ki tarah pyare teri ankhiyan ye sanwariyan

ग़ज़ल

कनहय्या की तरह प्यारे तिरी अँखियाँ ये साँवरियाँ

आबरू शाह मुबारक

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कनहय्या की तरह प्यारे तिरी अँखियाँ ये साँवरियाँ
करेंगी हिन्द में दावा ख़ुदाई का हम अटकलियाँ

हुआ है हम कूँ दुनियाँ में मयस्सर सैर जन्नत का
मिलीं हैं ज़ौक़ सीं फिरने कूँ अपने यार की गलियाँ

मियाँ कहने सीं उन कुत्ते रक़ीबों के तुम आशिक़ पर
इते जो ग़ुरफ़िशी करते हो ये बातें नहीं भलियाँ

एसी क्यूँ रसमसी मरजान और क्यूँ लाल हैं अँखियाँ
अगर तुम नीं करी नहिं ग़ैर सीं मिल रात रंग-रलियाँ