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कमाँ से तीर चला और सबा ने चुपके से | शाही शायरी
kaman se tir chala aur saba ne chupke se

ग़ज़ल

कमाँ से तीर चला और सबा ने चुपके से

नीलोफ़र अफ़ज़ल

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कमाँ से तीर चला और सबा ने चुपके से
हिला कि हाथ परिंदे को होशियार किया

हमीं ने सेहन-ए-चमन में उड़ाई ख़ाक-ए-वफ़ा
हमीं ने दश्त में फूलों का कारोबार किया

हम इंतिज़ाम-ए-बहाराँ में ग़र्क़ थे उस दम
जब उस ने हीला-ए-अस्बाब-ए-इंतिशार किया