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कम नहीं ये भी ज़िंदगी के लिए | शाही शायरी
kam nahin ye bhi zindagi ke liye

ग़ज़ल

कम नहीं ये भी ज़िंदगी के लिए

आरिफ हसन ख़ान

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कम नहीं ये भी ज़िंदगी के लिए
जान जाए तिरी ख़ुशी के लिए

दोस्ती हो वफ़ा हो नफ़रत हो
कुछ बहाना हो ज़िंदगी के लिए

आप की याद का बस एक दिया
है बहुत दिल की रौशनी के लिए

वो जो माँगे तो जान भी दे दूँ
जी रहा हूँ इसी ख़ुशी के लिए

बारहा ख़ून कर लिया दिल को
उस के होंटों की इक हँसी के लिए

आज के दौर में सुनो 'आरिफ़'
कोई मरता नहीं किसी के लिए