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कल ऐ आशोब-ए-नाला आज नहीं | शाही शायरी
kal ai aashob-e-nala aaj nahin

ग़ज़ल

कल ऐ आशोब-ए-नाला आज नहीं

क़ाएम चाँदपुरी

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कल ऐ आशोब-ए-नाला आज नहीं
आज हंगामा पर मिज़ाज नहीं

ग़ैर उस के कि ख़ूब रोइए और
ग़म-ए-दिल का कोई इलाज नहीं

अब भी क़ीमत है दिल की गोशा-ए-चशम
इतनी ये जिंस बे-रिवाज नहीं

शह को भी चाहिए है गोर-ओ-कफ़न
कौन है जिस को एहतियाज नहीं

दिल से बस हाथ उठा तू अब ऐ इश्क़
देह-ए-वीरान पर ख़िराज नहीं

दो-जहाँ भी मिलें तो बस है हमें
याँ कुछ इतनी तो एहतियाज नहीं

कर न जुरअत तू ऐ तबीब कि ये
दिल का धड़का है इख़्तिलाज नहीं

मैं तो 'क़ाएम' कहे था तुझ से आह
दिल-ए-नाज़ुक है ये ज़ुजाज नहीं