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कई सवाल मचलते हैं हर सवाल के बा'द | शाही शायरी
kai sawal machalte hain har sawal ke baad

ग़ज़ल

कई सवाल मचलते हैं हर सवाल के बा'द

रूमाना रूमी

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कई सवाल मचलते हैं हर सवाल के बा'द
शब-ए-विसाल से पहले शब-ए-विसाल के बा'द

न जाने क्यूँ ये मिरा दिल धड़कने लगता है
तिरे ख़याल से पहले तिरे ख़याल के बा'द

हर एक दाव से वाक़िफ़ थी ऐ मिरे हमदम
मैं तेरी चाल से पहले मैं तेरी चाल के बा'द

न जाने क्यूँ तिरी यादें तवाफ़ करती हैं
किसी मलाल से पहले किसी मलाल के बा'द

तिरी क़सम तिरा चेहरा ही रू-ब-रू था मिरे
तिरे सवाल से पहले तिरे सवाल के बा'द

फ़ज़ा में क़ौस-ए-क़ुज़ह सी बिखर गई हर सम्त
तिरे जमाल से पहले तिरे जमाल के बा'द

कहाँ थी एक ही हालत मिरे दिल-ओ-जाँ की
तिरे ख़याल से पहले तिरे ख़याल के बा'द

अमीर-ए-शहर उन्हें याद कर जो साथ रहे
तिरे ज़वाल से पहले तिरे ज़वाल के बा'द

कोई है 'रूमी' मुसलसल सवाल करता है
मिरे सवाल से पहले मिरे सवाल के बा'द