कहते हैं कि दे मेरी बला दाद किसी की
कानों को मज़ा देती है फ़रियाद किसी की
रोना है तिरा काम मगर दीदा-ए-तर देख
तस्वीर-ए-ख़याली न हो बर्बाद किसी की
करता हूँ गिला उन से जो वीरानी-ए-दिल का
कहते हैं ये बस्ती नहीं आबाद किसी की
आबाद ख़ुदा रक्खे तुझे कू-ए-मोहब्बत
मिट्टी नहीं होती यहाँ बर्बाद किसी की
कुछ और तो हम पास 'मुबारक' नहीं रखते
रखता है तमन्ना दिल-ए-नाशाद किसी की

ग़ज़ल
कहते हैं कि दे मेरी बला दाद किसी की
मुबारक अज़ीमाबादी