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कहते हैं जिस को मौत है वक़्फ़ा हयात का | शाही शायरी
kahte hain jis ko maut hai waqfa hayat ka

ग़ज़ल

कहते हैं जिस को मौत है वक़्फ़ा हयात का

मीर यासीन अली ख़ाँ

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कहते हैं जिस को मौत है वक़्फ़ा हयात का
दरिया-ए-ज़ीस्त एक है साहिल जगह जगह

दैर-ओ-हरम से दूर है शायद तिरा मक़ाम
याँ वर्ना हर क़दम पे है मंज़िल जगह जगह

ख़ुश-रंग-ओ-ख़ुश-निगाह ख़ुश-अंदाम ख़ूब-रू
फैले हुए हैं शहर में क़ातिल जगह जगह