EN اردو
कहें किस से हमारा खो गया क्या | शाही शायरी
kahen kis se hamara kho gaya kya

ग़ज़ल

कहें किस से हमारा खो गया क्या

अख़्तर सईद ख़ान

;

कहें किस से हमारा खो गया क्या
किसी को क्या कि हम को हो गया क्या

खुली आँखों नज़र आता नहीं कुछ
हर इक से पूछता हूँ वो गया क्या

मुझे हर बात पर झुटला रही है
ये तुझ बिन ज़िंदगी को हो गया क्या

उदासी राह की कुछ कह रही है
मुसाफ़िर रास्ते में खो गया क्या

ये बस्ती इस क़दर सुनसान कब थी
दिल-ए-शोरीदा थक कर सो गया क्या

चमन-आराई थी जिस गुल का शेवा
मिरी राहों में काँटे बो गया क्या