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कहाँ तक दूर रह पाऊँगा ख़ुद से | शाही शायरी
kahan tak dur rah paunga KHud se

ग़ज़ल

कहाँ तक दूर रह पाऊँगा ख़ुद से

अनवर ख़ान

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कहाँ तक दूर रह पाऊँगा ख़ुद से
मैं इक दिन मिलने आ जाऊँगा ख़ुद से

ज़मीं की वुसअतों को छोड़ दूँगा
वफ़ादारी निभा जाऊँगा ख़ुद से

बहुत मुश्किल है सहरा पार करना
तुम्हारे बिन न मिल पाऊँगा ख़ुद से

मुझे न रोक पाएगी ये दुनिया
मुझे लगता है टकराऊँगा ख़ुद से