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कहा ये किस ने कि अब मुझ को तुम से प्यार नहीं | शाही शायरी
kaha ye kis ne ki ab mujhko tum se pyar nahin

ग़ज़ल

कहा ये किस ने कि अब मुझ को तुम से प्यार नहीं

कविता किरन

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कहा ये किस ने कि अब मुझ को तुम से प्यार नहीं
ये और बात है तुम पर वो इख़्तियार नहीं

मिरे तो अपने ही आँगन में पाँव ज़ख़्मी हुए
मुझे यहाँ पे किसी पर भी ए'तिबार नहीं

तमाम उम्र कटी तेरी राह तकते हुए
कुछ ऐसा हाल है ख़ुद अपना इंतिज़ार नहीं

कभी के ख़त्म हुई ए'तिबार की दुनिया
किसी के वास्ते अब कोई बे-क़रार नहीं

चमन में कैसी हवा चल रही है अब के बरस
गुलों के चेहरों पे पहला सा अब निखार नहीं

सुलूक-ए-दोस्त ने क्या ऐसा कर दिया है 'किरन'
कि उम्र कट गई दिल को मगर क़रार नहीं