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कभी बे-सबब तुम रुला कर तो देखो | शाही शायरी
kabhi be-sabab tum rula kar to dekho

ग़ज़ल

कभी बे-सबब तुम रुला कर तो देखो

कविता किरन

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कभी बे-सबब तुम रुला कर तो देखो
मुझे मेरी जाँ आज़मा कर तो देखो

न छूटेगा पल भर को दामन तुम्हारा
कभी हम को अपना बना कर तो देखो

वफ़ा का महकता हुआ फूल बन कर
महक अपनी हम पर लुटा कर तो देखो

न टूटेगा बंधन कभी ये हमारा
कभी हम से दो पल निभा कर तो देखो

अभी तक खड़े हैं इसी मोड़ पर हम
कभी तुम वहीं हम को आ कर तो देखो

किरन ज़िंदगानी की उतरेगी दिल में
कभी अपना दामन बिछा कर तो देखो