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कभी आँसुओं से किनारा करो | शाही शायरी
kabhi aansuon se kinara karo

ग़ज़ल

कभी आँसुओं से किनारा करो

विकास शर्मा राज़

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कभी आँसुओं से किनारा करो
कोई शाम हँस कर गुज़ारा करो

मोहब्बत के आदाब सीखो ज़रा
उसे जान कह के पुकारा करो

ज़रूरी नहीं साथ में डूबना
जहाँ हो वहीं से नज़ारा करो