कब तक भँवर के बीच सहारा मिले मुझे
तूफ़ाँ के ब'अद कोई किनारा मिले मुझे
जीवन में हादसों की ही तकरार क्यूँ रहे
लम्हा कोई ख़ुशी का दोबारा मिले मुझे
बिन चाहे मेरी राह में क्यूँ आ रहे हैं लोग
जो चाहती हूँ मैं वो नज़ारा मिले मुझे
सारे जहाँ की रौशनी कब माँगती हूँ मैं
बस मेरी ज़िंदगी का सितारा मिले मुझे
दुनिया में कौन है जो 'सदफ़' सुख समेट ले
देखा जिसे भी दर्द का मारा मिले मुझे
ग़ज़ल
कब तक भँवर के बीच सहारा मिले मुझे
सुग़रा सदफ़