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काश होता मज़ा कहानी में | शाही शायरी
kash hota maza kahani mein

ग़ज़ल

काश होता मज़ा कहानी में

महावीर उत्तरांचली

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काश होता मज़ा कहानी में
दिल मिरा बुझ गया जवानी में

उन की उल्फ़त में ये मिला हम को
ज़ख़्म पाए हैं बस निशानी में

आओ दिखलाएँ एक अनहोनी
आग लगती है कैसे पानी में

तुम रहे पाक-साफ़ दिल हर दम
मैं रहा सिर्फ़ बद-गुमानी में