काश होता मज़ा कहानी में
दिल मिरा बुझ गया जवानी में
उन की उल्फ़त में ये मिला हम को
ज़ख़्म पाए हैं बस निशानी में
आओ दिखलाएँ एक अनहोनी
आग लगती है कैसे पानी में
तुम रहे पाक-साफ़ दिल हर दम
मैं रहा सिर्फ़ बद-गुमानी में
ग़ज़ल
काश होता मज़ा कहानी में
महावीर उत्तरांचली