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कारवाँ आते हैं और आ के चले जाते हैं | शाही शायरी
karwan aate hain aur aa ke chale jate hain

ग़ज़ल

कारवाँ आते हैं और आ के चले जाते हैं

जावेद कमाल रामपुरी

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कारवाँ आते हैं और आ के चले जाते हैं
एक हम हैं कि उसी सम्त तके जाते हैं

दिन गुज़रते हैं मह-ओ-साल गुज़र जाते हैं
वक़्त के पाँव भी चल चल के थके जाते हैं

जाने आवाज़-ए-जरस है कि सदा-ए-सहरा
एक आवाज़ सी सुनते हैं सुने जाते हैं

ग़म ने करवट कभी बदली थी मगर आज तलक
दिल के आग़ोश में काँटे से चुभे जाते हैं