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काला अम्बर पीली धरती या अल्लाह | शाही शायरी
kala ambar pili dharti ya allah

ग़ज़ल

काला अम्बर पीली धरती या अल्लाह

निदा फ़ाज़ली

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काला अम्बर पीली धरती या अल्लाह
हा-हा हे-हे ही-ही-ही-ही या अल्लाह

कर्गिल और कश्मीर ही तेरे नाम हों क्यूँ
भाई बहन महबूबा बेटी या अल्लाह

पीर पयम्बर को अब और न ज़हमत दे
चूल्हा चक्की रोटी सब्ज़ी या अल्लाह

घी मिस्री भी भेज कभी अख़बारों में
कई दिनों से चाय है कड़वी या अल्लाह

तू ही फूल सितारा सावन हरियाली
और कभी तू नागा-साकी या अल्लाह