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जुस्तुजू करते ही करते खो गया | शाही शायरी
justuju karte hi karte kho gaya

ग़ज़ल

जुस्तुजू करते ही करते खो गया

बेदम शाह वारसी

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जुस्तुजू करते ही करते खो गया
उन को जब पाया तो ख़ुद गुम हो गया

क्या ख़बर यारान-ए-रफ़्ता की मिले
फिर न आया उस गली में जो गया

जब उठाया उस ने अपनी बज़्म से
बख़्त जागे पाँव मेरा सो गया

मुझ को है खोए हुए दिल की तलाश
और वो कहते हैं कि जाने दो गया

ख़ैर है क्यूँ इस क़दर बेताब हैं
हज़रत-ए-दिल आप को क्या हो गया

वो मिरी बालीं आ कर फिर गए
जाग कर मेरा मुक़द्दर सो गया

आज फिर 'बेदम' की हालत ग़ैर है
मय-कशो लेना ज़रा देखो गया