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जुनूँ है ज़ेहन में तो हौसले तलाश करो | शाही शायरी
junun hai zehn mein to hausle talash karo

ग़ज़ल

जुनूँ है ज़ेहन में तो हौसले तलाश करो

नफ़स अम्बालवी

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जुनूँ है ज़ेहन में तो हौसले तलाश करो
मिसाले-आब-ए-रवाँ रास्ते तलाश करो

ये इज़्तिराब रगों में बहुत ज़रूरी है
उठो सफ़र के नए सिलसिले तलाश करो

ये सर-ज़मीन सफ़र के लिए बहुत कम है
चलो उफ़क़ पे नए मरहले तलाश करो

जो थक गए हो ये बोसीदा ज़िंदगी जी कर
तो ज़िंदगी के अलग ज़ाविए तलाश करो

जो चाहते हो कि अख़बार चल पड़े अपना
तो सुर्ख़ियों के लिए हादसे तलाश करो

ये तंग-ज़ौक़ अदीबों से ख़ुश नहीं होंगे
मुशाएरे के लिए मस्ख़रे तलाश करो

ख़ुदा पे छोड़ दो ये कल कोई पढ़े न पढ़े
नई ग़ज़ल के लिए क़ाफ़िए तलाश करो