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जुनून-ए-रंग हम-आहंगी-ए-मज़ाक़ तुम्ही | शाही शायरी
junun-e-rang ham-ahangi-e-mazaq tumhi

ग़ज़ल

जुनून-ए-रंग हम-आहंगी-ए-मज़ाक़ तुम्ही

ऐन सलाम

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जुनून-ए-रंग हम-आहंगी-ए-मज़ाक़ तुम्ही
बिना-ए-रंज तुम्ही वज्ह-ए-इत्तिफ़ाक़ तुम्ही

तुम्ही हो रौशनी-ए-तब-कुश्तगान-ए-हयात
शब-ए-सियाह अलम में सिराज-ए-ताक़ तुम्ही

रवाँ-दवाँ नहीं मुझ में कोई तुम्हारे सिवा
तुम्ही हो मंज़र-ए-मव्वाज चश्म-ए-वाक़ तुम्ही

तुम्ही से हों तो ये क्यूँ सोचता हूँ मैं क्या हूँ
तुम्ही कि हुस्न-ए-जहाँ भी हो हुस्न-ए-ताक़ तुम्ही

मैं आइने की तरह बे-ख़बर हूँ हैराँ हूँ
मैं कैसे बोलों कि राक़ी तुम्हीं हो राक़ तुम्ही

ये ख़ैर-ओ-शर में तनासुब तुम्ही से क़ाएम है
तुम्ही हो मुसबत-ओ-मनफ़ी के संग-ए-हाक़ तुम्ही