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जो तेरे दिल में सहव तेरी याद से हुआ | शाही शायरी
jo tere dil mein sahw teri yaad se hua

ग़ज़ल

जो तेरे दिल में सहव तेरी याद से हुआ

नातिक़ लखनवी

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जो तेरे दिल में सहव तेरी याद से हुआ
नाम उस का महव आलम-ए-ईजाद से हुआ

बर्बाद ख़ाक-ए-दिल है तो एहसान-ए-हुस्न क्या
मैं सर-बुलंद इश्क़ की उफ़्ताद से हुआ

ऐसे भी हैं के उन को रिहाई की फ़िक्र है
शर्मिंदा मैं तो ज़हमत-ए-सय्याद से हुआ

नाक़ूस और अज़ाँ की बिना इश्क़ से पड़ी
फ़रियाद का चलन मेरी फ़रियाद से हुआ

इश्क़ ओ हवस ने मिल के बनाई है बज़्म-ए-हुस्न
ये इत्तिहाद मजमा-ए-अज़दाद से हुआ

दुनिया-ए-बे-सबात का क़िस्सा था मुख़्तसर
तूल इतना मेरी क़ैद की मीआद से हुआ