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जो तेरे दिल में है वो बात मेरे ध्यान में है | शाही शायरी
jo tere dil mein hai wo baat mere dhyan mein hai

ग़ज़ल

जो तेरे दिल में है वो बात मेरे ध्यान में है

साक़ी फ़ारुक़ी

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जो तेरे दिल में है वो बात मेरे ध्यान में है
तिरी शिकस्त तिरी लुक्नत-ए-ज़बान में है

तिरे विसाल की ख़ुश-बू से बढ़ती जाती है
न जाने कौन सी दीवार दरमियान में है

हमें तबाह किया आब ओ गिल की साज़िश ने
कि एक दोस्त हमारा भी आसमान में है

मगर ये लोग भला किस लिए उदास हुए
ये क्या तिलिस्म बहारों की दास्तान में है

हम अहल-ए-दर्द को तोहमत हुई है आज़ादी
कि सारी उम्र गिरफ़्तार एक आन में है