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जो साँस साँस सही उस सज़ा का नाम न लो | शाही शायरी
jo sans sans sahi us saza ka nam na lo

ग़ज़ल

जो साँस साँस सही उस सज़ा का नाम न लो

सय्यद काशिफ़ रज़ा

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जो साँस साँस सही उस सज़ा का नाम न लो
हमारे साथ रहो बस वफ़ा का नाम न लो

कहो तो ये कहो दिल को ख़ुश आ रही है हवा
मशाम-ए-जाँ से गुज़रती सबा का नाम न लो

हुज़ूर-ए-हुस्न जो रहना है यूँ ही ख़ुश-औक़ात
सितारा ओ जिगर-ए-सोख़्ता का नाम न लो

मिली है जो निगह-ए-यार की इशारत से
रज़ा-ए-यार है ये तुम क़ज़ा का नाम न लो

बिखरने लगती है रुख़ पर हया उसी जैसी
हमारे सामने उस ख़ुश-अदा का नाम न लो

ये अहद-ए-इश्क़ तिरे मेरे दरमियाँ ही रहे
ख़ुदा के वास्ते इस में ख़ुदा का नाम न लो