EN اردو
जो क़िस्सा था ख़ुद से छुपाया हुआ | शाही शायरी
jo qissa tha KHud se chhupaya hua

ग़ज़ल

जो क़िस्सा था ख़ुद से छुपाया हुआ

शुजा ख़ावर

;

जो क़िस्सा था ख़ुद से छुपाया हुआ
वो था शहर भर को सुनाया हुआ

मुख़ालिफ़ से सुल्ह-ओ-सफ़ाई जो की
कई दोस्तों का सफ़ाया हुआ

जो महफ़िल में पहचानता तक न था
तसव्वुर में बैठा है आया हुआ

हर इक ज़ख़्म जाएगा मेरे ही साथ
नमक सब ने है मेरा खाया हुआ

नज़र आ रहा है जो वो आसमाँ
ये है मेरे रब का बनाया हुआ