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जो पिन्हाँ था वही हर सू अयाँ है | शाही शायरी
jo pinhan tha wahi har su ayan hai

ग़ज़ल

जो पिन्हाँ था वही हर सू अयाँ है

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

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जो पिन्हाँ था वही हर सू अयाँ है
ये कहिए लन तरानी अब कहाँ है

जो पहुँचे हाथ ज़ंजीरों को तोड़ें
गरचे पाँव अपना दरमियाँ है

चमक लाल-ए-ब-दख़्शाँ की मिटा दे
तिरे होंटों पे ऐसा रंग पाँ है

तुझे कहता हूँ सुन ओ वहशत-ए-दिल
वहाँ ले चल जहाँ वो दिल-सिताँ है

वो हों नाज़ुक-मिज़ाज ऐ हम-सफ़ीरो
रग-ए-गुल मुझ को ख़ार-ए-आशियाँ है

मुआ जाता हूँ मैं तर्ज़-ए-निगह से
तिरे लब की मसीहाई कहाँ है

बुला कर उस से दो बातें तो सुन ले
ये कहते हैं कि 'गोया' ख़ुश-बयाँ है