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जो मुझे भुला देंगे मैं उन्हें भुला दूँगा | शाही शायरी
jo mujhe bhula denge main unhen bhula dunga

ग़ज़ल

जो मुझे भुला देंगे मैं उन्हें भुला दूँगा

मुनीर नियाज़ी

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जो मुझे भुला देंगे मैं उन्हें भुला दूँगा
सब ग़ुरूर उन का मैं ख़ाक में मिला दूँगा

देखता हूँ सब शक्लें सुन रहा हूँ सब बातें
सब हिसाब उन का मैं एक दिन चुका दूँगा

रौशनी दिखा दूँगा इन अंधेर-नगरों में
इक हवा ज़ियाओं की चार-सू चला दूँगा

बे-मिसाल क़रियों के बे-कनार बाग़ों के
अपने ख़्वाब लोगों के ख़्वाब में दिखा दूँगा

मैं 'मुनीर' जाऊँगा एक दिन उसे मिलने
उस के दर पे जा के मैं एक दिन सदा दूँगा