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जो मिलने आता है मिल कर जुदा भी होता है | शाही शायरी
jo milne aata hai mil kar juda bhi hota hai

ग़ज़ल

जो मिलने आता है मिल कर जुदा भी होता है

हबीब कैफ़ी

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जो मिलने आता है मिल कर जुदा भी होता है
वो ख़ुश-मिज़ाज है लेकिन ख़फ़ा भी होता है

वो भूल बैठे नशा कर के अपनी दौलत का
नशा कोई भी हो इक दिन हुआ भी होता है

कभी कभी ही सही जेब भारी होती है
कभी कभी तो ये बंदा ख़ुदा भी होता है

मैं इस हसीन को ये बात कैसे समझाऊँ
जो बेहतरीन है उस से सिवा भी होता है

तुम्हारी बात का मैं ने बुरा कहाँ माना
जो अपना होता है उस से गिला भी होता है

किसी मरीज़ से कहना कि आप अच्छे हैं
ये बात कहने का मतलब दवा भी होता है

ये बात मेरे सिवा जानता नहीं कोई
कि उस की बात में गहरा नशा भी होता है

कभी जो गालियाँ दे माँ तो ये समझ लेना
कि उस की गाली का मतलब दुआ भी होता है