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जो ख़ुद को पाएँ तो फिर दूसरा तलाश करें | शाही शायरी
jo KHud ko paen to phir dusra talash karen

ग़ज़ल

जो ख़ुद को पाएँ तो फिर दूसरा तलाश करें

अली अकबर अब्बास

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जो ख़ुद को पाएँ तो फिर दूसरा तलाश करें
इस इक हयात में अब और क्या तलाश करें

सितारा-गो है ये शब इस को ग़ौर से सुन लें
और इस का दिन जो कहीं खो गया तलाश करें

हम अपनी बात को दीवार ही में चुनवा दें
नज़र शबीह समाअत सदा तलाश करें

है बाब-ए-जाँ पे रुका अक्स-ए-मेहमाँ आ कर
सर-ए-वजूद कोई आइना तलाश करें

हवा में ज़हर है सहरा का या समुंदर का
ये इल्म हो तो कोई बदरक़ा तलाश करें