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जो जुनूँ था सो वो अब नहीं | शाही शायरी
jo junun tha so wo ab nahin

ग़ज़ल

जो जुनूँ था सो वो अब नहीं

इब्न-ए-उम्मीद

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जो जुनूँ था सो वो अब नहीं
मुझे अब तुम्हारी तलब नहीं

तुझे क्या ख़बर मिरे हाल की
जो कहा तुझे वही सब नहीं

ये अलग कि तुझ को सदा न दें
हमें याद वर्ना तू कब नहीं

मैं ख़ुशी में घिर के उदास हूँ
कोई और इस का सबब नहीं