जो हम-कलाम हो हम से उसी के होते हैं
हम एक वक़्त में एक आदमी के होते हैं
कोई जहाँ में ख़ुशी से गुज़ारना चाहे
तो बे-शुमार बहाने ख़ुशी के होते हैं
जमालियात के पर्चे में आठ नौ नंबर
फ़क़त शगुफ़्तगी-ओ-दिल-कशी के होते हैं
किसी के साथ भी बैठे हुए दिखाई दें
तसव्वुरात में हम आप ही के होते हैं
'शुऊर' सिर्फ़ इरादे से कुछ नहीं होता
अमल है शर्त इरादे सभी के होते हैं
ग़ज़ल
जो हम-कलाम हो हम से उसी के होते हैं
अनवर शऊर