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जो गुज़री मुझ पे मत उस से कहो हुआ सो हुआ | शाही शायरी
jo guzri mujh pe mat us se kaho hua so hua

ग़ज़ल

जो गुज़री मुझ पे मत उस से कहो हुआ सो हुआ

मोहम्मद रफ़ी सौदा

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जो गुज़री मुझ पे मत उस से कहो हुआ सो हुआ
बला-कशान-ए-मोहब्बत पे जो हुआ सो हुआ

मबादा हो कोई ज़ालिम तिरा गरेबाँ-गीर
मिरे लहू को तू दामन से धो हुआ सो हुआ

पहुँच चुका है सर-ए-ज़ख़्म दिल तलक यारो
कोई सुबू कोई मरहम रखो हुआ सो हुआ

कहे है सुन के मिरी सरगुज़िश्त वो बे-रहम
ये कौन ज़िक्र है जाने भी दो हुआ सो हुआ

ख़ुदा के वास्ते आ दरगुज़र गुनह से मिरे
न होगा फिर कभू ऐ तुंद-ख़ू हुआ सो हुआ

ये कौन हाल है अहवाल-ए-दिल पे ऐ आँखो
न फूट फूट के इतना बहो हुआ सो हुआ

न कुछ ज़रर हुआ शमशीर का न हाथों का
मिरे ही सर पे ऐ जल्लाद जो हुआ सो हुआ

दिया उसे दिल ओ दीं अब ये जान है 'सौदा'
फिर आगे देखिए जो हो सो हो हुआ सो हुआ