जो गुज़रती है कहा करता हूँ
दिल के जज़्बात लिखा करता हूँ
चुन के जब लाती है अल्फ़ाज़ ज़बाँ
लब-ए-इज़हार को वा करता हूँ
ख़ैर से पार लगे कश्ती-ए-ज़ीस्त
बस यही एक दुआ करता हूँ
ज़िंदगी तुझ से वफ़ा की ख़ातिर
दिल की आवाज़ सुना करता हूँ
ग़म में भी रहता हूँ मैं ख़ुश 'साहिल'
हर-नफ़स ऐसे जिया करता हूँ
ग़ज़ल
जो गुज़रती है कहा करता हूँ
अशोक साहनी साहिल