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जो गुज़रती है कहा करता हूँ | शाही शायरी
jo guzarti hai kaha karta hun

ग़ज़ल

जो गुज़रती है कहा करता हूँ

अशोक साहनी साहिल

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जो गुज़रती है कहा करता हूँ
दिल के जज़्बात लिखा करता हूँ

चुन के जब लाती है अल्फ़ाज़ ज़बाँ
लब-ए-इज़हार को वा करता हूँ

ख़ैर से पार लगे कश्ती-ए-ज़ीस्त
बस यही एक दुआ करता हूँ

ज़िंदगी तुझ से वफ़ा की ख़ातिर
दिल की आवाज़ सुना करता हूँ

ग़म में भी रहता हूँ मैं ख़ुश 'साहिल'
हर-नफ़स ऐसे जिया करता हूँ