जो चल पड़ूँ तो कोई हौसला नहीं देंगे
ये सब्ज़ पेड़ मुझे रास्ता नहीं देंगे
ये अब जो खोद रहे हैं ज़मीन मेरे लिए
मैं जी उठूँ तो कहीं भी जगह नहीं देंगे
हमारे साथ यही कुछ करेंगे लोग अभी
ये जानते हैं कि हम बद-दुआ नहीं देंगे
ये आइने हैं भरोसा उन्हीं पे करना है
ये बद-ज़बान हैं लेकिन दग़ा नहीं देंगे
ग़ज़ल
जो चल पड़ूँ तो कोई हौसला नहीं देंगे
शनावर इस्हाक़