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जो भी होगा वार देखा जाएगा | शाही शायरी
jo bhi hoga war dekha jaega

ग़ज़ल

जो भी होगा वार देखा जाएगा

सबीहा सबा

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जो भी होगा वार देखा जाएगा
ग़म न कर ग़म-ख़्वार देखा जाएगा

किस तरह मनवा लिया जाए तुझे
ऐ मिरे फ़नकार देखा जाएगा

चल दिए तो फिर कहीं रुकना नहीं
रास्ता दुश्वार देखा जाएगा

इंतिज़ार अब तो नहीं है इंतिज़ार
ऐ दिल-ए-बेज़ार देखा जाएगा

हिज्र के सहरा का ऐसा ज़िक्र क्या
ऐ शब-ए-बेदार देखा जाएगा

वक़्त करता है 'सबा' कुछ फ़ैसले
वक़्त को हर बार देखा जाएगा